Sunday, February 1, 2009

वो जमुना का पानी, वो इलाहाबाद की यादें ।


बात उस समय की है, जब मैं अपने मायके इलाहाबाद पहली बार अपने पतिदेव को लेकर गई । यूं तो इलाहाबाद का चप्‍पा-चप्‍पा मेरा घूमा हुआ है, बल्कि यूं कहें कि इलाहाबाद का चप्‍पा-चप्‍पा मेरी रग-रग में....मेरी सांसों में बसा है । लेकिन इनके साथ इलाहाबाद घूमने का आनंद अनोखा था । पहले...