साठ बरस का सुरीला सफर
आज विविध भारती के साठ वर्ष पूरे हुए। पूरे विविध भारती परिवार को असंख्य शुभकामनाएं। क्या कहूं..... लिखने बैठी तो शब्द हवाओं में गूंज रहे हैं, भाषा राग में बदल गई है, जज्बात सागर बन गए हैं। उन्हें शब्दों में बांधना और Facebook के ज़रिए आप सब तक पहुंचाना बड़ा मुश्किल लग रहा है।
फिर भी अकिंचन प्रयास कर रही हूं कि अपने कुछ प्रिय भावों और अनमोल स्मृतियों को आप तक पहुंचा सकूं।
ये जैसे अभी-अभी की बात हो पर एक बरस बीत गया। पिछले 3 अक्टूबर यानी विविध भारती के पिछले जन्मदिन के मौके पर मेरी ‘उनसे’ बात हुई थी... जिनकी आवाज पर पूरी दुनिया कुर्बान है, जिनके स्वर से घरों में आरती के स्वर पूरे होते हैं, जिनकी आवाज सुर-सरिता है, जिनके दिव्य-दर्शन को हम सब आतुर रहते हैं। वो हैं सुर सरस्वती, सुर कोकिला लता मंगेशकर। पिछले बरस लता दीदी से हुई अपनी बातचीत विविध भारती के माध्यम से आप तक पहुंचाई थी। विविध भारती की अनमोल यादों में से सबसे सुनहरी और बेमिसाल याद ये है।
......और हां, उनके जन्मदिन के मौक़े पर लता दीदी से अभी हाल ही में फिर बात हुई, ये सब कुछ विविध भारती के माध्यम से संभव हुआ। हमें खुशी है कि विविध भारती के साठ बरस के इस सुरीले सफर में कुछ कदम हमारे भी हैं। हमें खुशी है कि चंदा मुखर्जी, अचला नागर, कब्बन मिर्ज़ा, कांता गुप्ता, बृजभूषण साहनी जैसे नामचीन उद्घोषकों की रवायत को निभाने का मौका हमें भी मिला। हमें खुशी है कि विविध भारती की बदौलत हम वहां पहुंचे, जहां हमारे देश की आन-बान-शान का तिरंगा लहराता है। यानी सरहद पर।
विविध भारती के 50 वर्ष पूरे होने पर गोल्डन जुबली के अवसर पर हम विविध भारती की टीम के साथ सीमा सुरक्षा बल की रिकॉर्डिंग करने रामगढ़़ राजस्थान गए थे। भारत पाकिस्तान की सीमा पर, जहां जवानों के बीच उनसे बातचीत करते हुए अजब-से रोमांच का एहसास था, जहां 24 घंटे उनकी चुनौतियों की पताका रहती है, फौजी साथियों के परिवारों से, बातचीत कर यादगार रिकॉर्डिंग करके हम ले आए, जो कई कार्यक्रमों के साथ सखी सहेली में भी प्रसारित हुई थीं। रिकॉर्डिंग के साथ-साथ उन लम्हों को अपने मन के पन्ने पर भी सहेज लिया था जो हमें अपनी जिंदगी के तमाम कमजोर लम्हों में हौसला देते हैं, सूरज की तरह रोशनी देते हैं...... कि जहां उनके लिए मनोरंजन का जरिया सिर्फ विविध भारती है।
सरहद पर विविध भारती सुनना हमारे लिए भी सुखद रोमांच से कम नहीं था। उन जगहों पर हम पहुंचे जहां अमूमन आम नागरिक नहीं पहुंच पाते। गोल्डन जुबली के अवसर पर जैसलमेर और जोधपुर आकाशवाणी की रिकॉर्डिंग और सफर की नायाब यादें हैं, जो हमें विविध भारती की बदौलत ही मिला।
पढ़ाई के दिनों में, गर्मी की झुलसती दुपहरिया में, जब विविध भारती से मनचाहे गीत कार्यक्रम सुनते हुए उद्घोषकों की आवाजों की कॉपी किया करते थे, सूनी वीरान-गरम दोपहर में उद्घोषकों की ये आवाजें हमारी साथी हुआ करती थीं..... तब कल्पना भी नहीं की थी कि एक दिन इस सपनीली दुनिया में जादुई माइक्रोफोन के सामने बैठकर हम भी लोगों के दिलों में तिलिस्म पैदा कर सकेंगे।
करोड़ों श्रोताओं के अगाध स्नेह से मन भर लेंगे। शुक्रगुजार हूं उन तमाम श्रोताओं की, जो हमें इतना प्यार देते हैं। सिर आंखों पर बिठाते हैं। शुक्रिया विविध भारती का, जिसके स्टूडियो में बैठकर तमाम नामचीन फिल्मी हस्तियों से, तमाम साहित्यिक हस्तियों से, संगीत और कला के नामचीन सितारों से साक्षात्कार का मौका मिला।
शुक्रिया उन माइक्रोफोन्स का जिनके ज़रिए हमने फोन पर अपने प्रिय श्रोताओं से बातें की और SMS के जरिए उनकी गीतों की फरमाइशें पूरी कीं। विविध भारती पर जब पहली बार छायागीत प्रोग्राम पेश करने का मौका मिला था तो जैसे आंखों में बंद कई सपने के अंकुर फूल बन गए थे। नाटकों, झलकियों और कहानियों के ज़रिए तथा अन्य अनेक कार्यक्रमों के जरिए हम जैसे श्रोताओं के रेडियो सेट पर पहुंचकर उनके घर के सदस्य बन गये। ये सब एक सपने से कम नहीं लगता।
शायर और गीतकार शहरयार की वह बात कभी नहीं भूलती जब वह विविध भारती के स्टूडिरयो में आए थे और परिचय के बाद उन्होंने कहा था—‘तुम ‘सखी-सहेली’ वाली ममता सिंह हो....? सखी सहेली कार्यक्रम तो मैं हर रोज सुनता हूं।‘ …. शुक्रिया उन तमाम सखियों का जिन्होंने अपने घर के सदस्य की तरह मुझे दीदी-सखी- आंटी-बेटी की तरह प्यार दिया। शुक्रिया उन करोड़ों श्रोताओं का.... जो दुनिया भर से विविध भारती से हमारे कार्यक्रमों को सुनकर अपनी राय पर प्रेषित करते हैं। शुक्रिया उन पूर्वजों और अग्रजों का जिन्होंने विविध भारती की नींव डालने में अहम भूमिका निभाई…. जो हमें राह दिखाते हैं।
विविध भारती के कार्यक्रमों की स्वर-गंगा यूँ ही बहती रहे। अभिभूत हूं कि विविध भारती ने बचपन से एक दादी, नानी और मित्र की तरह अपने कार्यक्रमों से हमारा पथ प्रशस्त किया है। आज के बदलते परिवेश में विविध भारती ऐसा रेडियो चैनल है जो अपनी गरिमा, संस्कृति और गंभीरता को अपने दामन में समेटे हुए घरों की जरूरी और अहम आवाज है....जिसे आप देर तक और दूर तक सुन सकते हैं।
हम
सब की ओर से विविध भारती के साठ वर्ष पूरे होने पर ढेर सारी बधाई और ढेर सारी
शुभकामनाएं।
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ReplyDeleteआप बिल्कुल वैसी ही हैं जैसी मैं कल्पना करती थी...
ReplyDeleteक्या facebook पर आपको follow नहीं कर सकती...?����
आप रेडियोवाणी पर इमेल रिमाइंडर लगा दीजिये।
Deleteआपको नमस्कार!
ReplyDeleteबहुत बार आपको रेडियो पर सुना है।आपके उद्घोषणाओं में जो अपनापन है वह श्रोता को बांध लेता है। आपके चुने हुए गीत बहुत कर्णप्रिय लगते हैं।
आप बनी रहे, ऐसी इच्छा है।