Thursday, December 10, 2015

स्‍कूल का 'तमाशा' और 'तमाशा' का स्‍कूल


जिंदगी भी कई बार किस तरह से आइना दिखाती है। पिछले शनिवार को अजीब इत्‍तेफाक हुआ। सुबह जादू के स्‍कूल गए, पैरेन्‍ट-टीचर-मीटिंग में, जिसे ओपन-हाउस भी कहते हैं। उम्‍मीद तो यही थी कि शिकायत सुनने को मिलेगी कि जादू बहुत मस्‍ती करते हैं, He is very naughty but he is good at studies. लेकिन इस बार दो टीचर्स ने एक ही बात कही, nowadays he is very quiet. He does very good behavior. मेरा माथा थोड़ा ठनका।...

Saturday, November 28, 2015

नैहर और ससुराल की स्‍मृतियां


ओ मायानगरी मुंबई, तुमने बहुत कुछ दिया है। पूरी जिंदगी दे दी है तुमने। शुक्रगुज़ार हैं तुम्‍हारे। लेकिन फिर भी ना जाने क्‍या है बचपन वाले उस शहर में कि बार बार अपनी तरफ खींचता है वो शहर। गंगा मैया में प्रदूषण लाख घुल-मिल गया हो, लेकिन उसने अपनी पवित्रता आज भी...

Saturday, October 10, 2015

स्‍मृतियों में मां....


आज का ही दिन था वो... शनिवार की उदास मनहूस दोपहर....सुबह से मन विकल था, ईश्‍वर से प्रार्थना कर रहा था....लौट जाए वक्‍त... ठहर जाये उस लम्‍हे पर.... जब मुंबई आयीं थीं मां.... मां फिर से एक बार स्‍वस्‍थ हो जाएं....लेकिन जाने वाले को कोई रोक नहीं सकता।दोपहर के खाने का वक्‍त...

Saturday, September 5, 2015

जिन्‍होंने सिखाया जीवन का पाठ


यूं तो कुछ खास असवर के लिए कोई एक दिन निर्धारित कर देने से सिर्फ वो दिन ही महत्‍वपूर्ण नहीं हो जाता, कुछ खास अवसर, कुछ खास बातें कुछ खास सीख, हर रोज़ हमारे साथ साए की तरह चलती हैं। आज शिक्षक दिवस पर अपनी पहली शिक्षिका, अपनी मां की दी हर सीख याद आ रही है। उनका सिखाया...

Tuesday, July 28, 2015

पााखी में प्रकाशित कहानी 'फैमिली ट्री'


'पाखी' के जुलाई-2015 अंक में प्रकाशित कहानी 'फैमिली-ट्री'... उन पाठकों और आत्‍मीयों के लिए, जिन्‍हें अंक उपलब्‍ध नहीं हो सका।                  --ममता सिंह।................................................................................... दरवाज़े...