स्मृतियों में मां....

आज का ही दिन था वो... शनिवार की उदास मनहूस दोपहर....सुबह से मन विकल था, ईश्वर से प्रार्थना कर रहा था....लौट जाए वक्त... ठहर जाये उस लम्हे पर.... जब मुंबई आयीं थीं मां.... मां फिर से एक बार स्वस्थ हो जाएं....लेकिन जाने वाले को कोई रोक नहीं सकता।दोपहर के खाने का वक्त...