Sunday, June 18, 2017

कहानी- जनरल टिकट


ये कहानी 'हंस' के जून 2017 अंक में प्रकाशित हुई है।  आज अचानक ठंड बढ़ गयी है। गुनगुनी, नरम धूप बदन को सहला रही है। दिव्‍या अपनी नोटबुक और किताब लेकर हॉस्‍टल का बरामदा पार करती हुई लॉन में आ गयी है। लॉन के किनारे-किनारे की घास अभी भी गीली है। क्‍यारियों में लगे...