Saturday, December 12, 2009

लसोढ़े के अचार, बेर का चूरन और कुल्‍हड़ों वाली शाम


इलाहाबाद गई थी तो प्रतापगढ़ वाले जीजा बोले--'ममता अचार तो नहीं चाहिए । कहो तो ला दें ।' अचार मेरी कमज़ोरी रहा है । जब 'प्रेग्‍नेन्‍ट' थी तो किसी ने वादा किया था कि आपके लिए 'लसोडे़' का अचार भेजेंगे । ये अचार ना आना था ना आया । बहरहाल.....कल के अख़बार में पढ़ा नज़दीकी 'खादी-ग्रामोद्योग-संस्‍थान' के मैदान में एक राष्‍ट्रीय-हैंडलूम-प्रदर्शनी लगी है । सो हम जादू और उसके पापा को लेकर जा पहुंचे । ...