Sunday, November 29, 2009

डायरी के कुछ पन्‍ने--'मां के जाने के बाद' ।


मां के अवसान को मन जैसे पूरी तरह स्‍वीकार नहीं कर पाया है । कंप्‍यूटर पर उनकी तस्‍वीर देखूं तो अचानक ही 'इनसे' कहने लगती हूं कि मां ऐसा कहती हैं, वो वैसा कहती हैं । 'हैं' से उनके अचानक 'थीं' हो जाने को कैसे स्‍वीकार करूं । इन दिनों जो डायरी लिखी, उसके पिछले दो अंकों में...

Tuesday, November 24, 2009

डायरी के कुछ पन्‍ने-'मां का विदा हो जाना'


पिछले कुछ महीनों में मन जैसे भर-सा गया है । मां की बीमारी और फिर उनके अवसान के दिनों में मैंने जो डायरी लिखी उसके कुछ पन्‍ने यहां छाप रही हूं । पिछले पन्‍ने पर मैंने मां की बेबसी, बीमारी और उनके व्‍यक्तित्‍व के कुछ पहलुओं को उजागर किया था । अब आगे... --ममता इन दिनों...

Sunday, November 22, 2009

डायरी के कुछ पन्‍ने : 'मां की बीमारी'


पिछले कुछ महीनों में मन जैसे भर-सा गया है । मां की बीमारी और फिर उनके अवसान के दिनों में मैंने जो डायरी लिखी उसके कुछ पन्‍ने यहां छाप रही हूं--ममता मुझे लगता है कि उम्र के एक पड़ाव पर आकर हर कोई एकाकी हो जाता है । किसी बुज़ुर्ग को अगर क़रीब से देखें तो ये बात बड़ी...