ममता के 'जादू' की पहली सालगिरह
लगता है बस अभी की ही बात है । मैं बोरीवली के एक नर्सिंग-होम में 'इनके' साथ एन.एस.टी. करवाने गई थी । पिछले नौ महीने बेसब्री-बेचैनी-घबराहट-डर-आशंका-रोमांच में बीते थे । और अब इंतज़ार था नौ मार्च का । घर से निकली तो पता नहीं था कि 'जिन्हें' नौ मार्च को आना था--वो अगले ही दिन आने वाले हैं । डॉक्टर हिंदळेकर के नर्सिंग-होम का सौ बरस से भी ज्यादा का इतिहास रहा है । इसलिए उन पर हमेशा आंख बंद करके विश्वास किया जा सकता
है । जूनियर डॉक्टर ने कहा 'एन.एस.टी.' ठीक नहीं आ रहा
है । फ़ौरन अपने डॉक्टर के पास जाईये ।
हम तो सोच रहे थे कि अभी तकरीबन पंद्रह दिन बाक़ी हैं । तैयारियां हो ही जायेंगी । भाभी वग़ैरह भी आ जायेंगी । फिर अपने सास-ससुर का आना भी उन्हीं तारीख़ों के मुताबिक़ तय था । लेकिन यहां तो सारा मामला आज और कल वाला हो गया था । फ़ौरन घर आए और जैसे-तैसे 'इन्होंने' बैग तैयार किया । मुझे पता भी नहीं कि क्या रखा और क्या छोड़ा । तुरंत 'वेस्टर्न एक्सप्रेस हाइवे' पर 'शूं-शां' तरीक़े से ड्राइव करते हुए पहुंचे हॉस्पिटल । डॉक्टर ने जांच की और कहा कि आपका नन्हा-मुन्ना बाक़ायदा 'मैच्योर' है । पर नन्हे-मुन्ने ने अपनी गर्दन में 'कॉर्ड' लपेट ली है । हालांकि आप चाहें तो दस दिन इंतज़ार किया जा सकता है । फै़सला आपको करना है । जो कहें--सो कर दिया जाए ।
सोचती थी कि किसी पंडित-ज्योतिषी से तारीख़ और ग्रह-नक्षत्र पूछूंगी । उचित समय का निर्धारण किया जायेगा । और तब 'महाशय' किलकारियां भरेंगे । लेकिन 'जिन्हें' आना था उन्हें तो जैसे शुरूआत से ही इस 'टिटिम्मे' पर भरोसा नहीं था और 'आने' की बड़ी बेक़रारी भी थी । सच बताऊं--रात के नौ बजे उसी दिन अस्पताल में जो 'मूमेन्ट' किया कि लगा सब कुछ ठीक है । घर चला जाए । डॉक्टर भी हंसने लगीं--कि आप लोग नाहक ही टेन्शन ले रहे थे ।
पर 'आने वाले' ने तो अपने आगमन का फ़ैसला कर ही लिया था । आज ही की तारीख़ थी और जिस समय मैं ये शब्द लिख रही हूं--ठीक एक साल पहले मैं उस समय ऑपरेशन थियेटर में 'सर्जन' की तैयारियां देख रही थी और बहुत टेन्शन में थी । डर था माहौल का--जहां चारों तरफ मेडिकल टीम खड़ी थी । हलचल मची थी । दिमाग़ में तमाम तरह की बातें आ रही थीं । जब गर्भवती थी तो बूढ़-बुजुर्गों ने तरह-तरह के नुस्खे बताए थे । किसी ने कहा था कि नारियल और सेब खाने से बेटा गोरा होगा । किसी ने कहा था संगीत सुनो । किसी ने कहा था खूब अच्छी-अच्छी बातें सोचना । किसी ने कहा था बेटे के पैदा होते ही कान में 'ऊं' का जाप कर देना । जीभ पर सोने की सलाई से 'ऊं' लिख देना तो बेटा 'होनहार' होगा । किसी ने 'अज़ान' पढ़ने की बात कही । ये सब बातें मैं ऑपरेशन से पहले याद कर रही थी ।
बारह बजकर आठ मिनिट के आसपास जब डॉक्टरों ने 'नन्हे-मुन्ने' को बाहर लाने की कोशिश की--तो उसने ज़ोर से एक 'किक' मारा और डॉक्टर बोलीं--'ओह माय गॉड' । उसके बाद हंसी की एक लहर थियेटर में दौड़ गई । इसके दो ही मिनिट बाद मेरे लाड़ले की रोने की आवाज़ गूंज उठी । मैंने डॉक्टर से पूछा--'ये मेरा बच्चा रो रहा है' । और डॉक्टर ने फौरन मेरी बांहों में उसे रख दिया । भाव-विह्वलता में आंखों से झर-झर आंसूं बहने लगे । मैं मुग्ध होकर उसे चूमने
लगी । मुंह से निकला--'ओह मेरा प्यारा बच्चा' । वो सारी बातें, वो सारी सलाहें भूल गयी, उस समय मेरा कोई धर्म नहीं था । मेरा धर्म था ममत्व, मातृत्व से सराबोर थी मैं । स्नेह से विह्वल थी मैं । अलौकिक-क्षण था ये ।
आज का दिन इसलिए भी मेरे लिए बहुत महत्वपूर्ण है क्योंकि 'बेटे' के आने के बाद बहुत लोगों से मेरा अभिन्न जुड़ाव हुआ । 'जादू' ने मुझे कई लोगों से जोड़ा । और हां, मां बनने के बाद मेरी सारी जिंदगी बदल गयी । पहले नींद मुझे बड़े प्रिय थी । सात से आठ घंटे की नींद जि़द के तहत लेती ही थी । पर 'जादू' के आने के बाद डेढ़ से चार घंटे की भी नींद मिल जाए तो काफी है । दिन भर उसके काम में बिज़ी रहना, अपने लिए ज़रा भी वक्त नहीं निकाल पाना.....ये सब परेशान नहीं करता.....सुख देता है । अब तो 'जादू' के साथ खेलते हुए दिन ऐसे बीत रहे हैं कि सुबह कब होती है, शाम कब.....पता ही नहीं चलता । जब मैं सोचती हूं कि चार पांच महीने बाद दफ्तर ज्वाइन करना है तो उदास हो जाती हूं और फिर इसे गोद में लेकर बहुत प्यार करती हूं । कहती हूं कि मेरा तो स्टूडियो में मन ही नहीं लग सकेगा । दिन भर कैसे रहूंगी तेरे बिना । सचमुच इतनी मनपसंद, चुनौतीपूर्ण
नौकरी होने के बावजूद मुझे स्टूडियो नहीं पुकारता । लोग कहते हैं कि कित्ते दिन हो गए दफ्तर छोड़े । आ जाओ वापस । अच्छा लगेगा । वरना मोनोटोनी आ जाएगी । लेकिन मुझे लगता है कि एक मां बनने के बाद एक महिला के जीवन में ज़रा भी एकरसता नहीं रहती । हर दिन एक चुनौती होती है, हर दिन एक नया अहसास । हर दिन ममता का एक नया रोमांच होता है ।
आज जब 'जादू' एक बरस का हो रहा है, उस पल को याद करके फिर से भाव-विह्वल हो रही हूं । मुझ लगता है कि मैं जो कहना चाहती थी कि कह पाई या नहीं । पर जितनी भी मांएं हैं वो मेरे लिखे और अलिखे को समझ जायेंगे । फिलहाल तो मैं 'जादू' के लिए गुनगुना रही हूं----'ऐ चंदा मामा आरे आवा पारे आवा नदिया किनारे आवा' ।
नन्हे जादू 'मम्मा' की तरफ़ से असंख्य शुभकामनाएं सालगिरह की ।
हमारी तरफ से भी जादू को करोड़ों शुभकामनाएं....दुनिया की सारी खुशियाँ उसके कदम चूमें...और आप ऐसे ही उसे सफलताओं के शिखर पार करते देख हर्षित होती रहें...
ReplyDelete"उस समय मेरा कोई धर्म नहीं था । मेरा धर्म था ममत्व, मातृत्व से सराबोर थी मैं । स्नेह से विह्वल थी मैं । अलौकिक-क्षण था ये"...इस से आगे भी कहने को कुछ रह जाता है?...बहुत कम लोग होते हैं जो अपनी फीलिंग्स इतनी अच्छी तरह व्यक्त कर पाते हैं...बधाई..अरे बेटे के जन्म की..एक साल बाद ही सही...:
बहुत बहुत बधाई व शुभकामनाएँ आप तीनों को
ReplyDeleteबी एस पाबला
नन्हे जादू को हमारी तरफ से भी सालगिरह की शुभकामनाएं.
ReplyDeleteममताजी,युनुस और जादू तीनों को हार्दिक बधाई और प्यार
ReplyDeleteइसे कहते हैं दिल से लिखना. ज़रा भी कृत्रिमता नहीं. बात आपके दिल से निकल कर सीधे हमारे दिल तक पहुंच रही है.
ReplyDeleteबेटे का पहला जन्म दिन बहुत बहुत मुबारक़ हो आप सब को.
जादू के बिना तो हमारा भी मन नहीं लगता .. उसके ब्लॉग कम अपडेट होते रहते हैं .. उसे बहुत स्नेहाशीष .. आप दोनो को शुभकामनाएं !!
ReplyDeleteजादू को जन्म दिन पर ढेरों आशीर्वाद । आपको भी बधाई।
ReplyDeleteदुनिया जिसे कहते है जादू का खिलौना है ......वैसे ये दुनिया किसी नन्हे फ़रिश्ते के आते ही जादू लगने लगती है ....मुझे याद है कुछ महीने बाद जब मेरी पत्नी काम पर गयी थी हर आधे घंटे पर उसका फोन आता था ...वो ठीक है न....ओर अब भी कभी अक्सर कहती है .नौकरी छोड़ दूँ क्या.....कामकाजी मां एक अजीब से गिल्ट में रहती है ......
ReplyDelete..पर एक सवाल इन महाशय का नाम जादू क्यों ओर कैसे ?
maa ki mamta aur mamta bhabhi ki komal bhavnaon ke aage mere shabd apoorn honge.May this son of Yunus-Mamta grow up to be a nice human being and excel in whichever field he chooses1
ReplyDeleteआपकी पोस्ट ने कई जगह भावुक कर दिया, आप का सिर्फ नाम ही ममता नहीं आप खुद ममता का सागर हैं।
ReplyDeleteटिप्पणी करने के लिये मानों शब्द ही खत्म से हो गये हैं। बस इतना कह रहा हूं कि भगवान हमारे प्रिय जादूजी को खूब लम्बी उम्र दे और वे अपने मम्मी पापा का खूब नाम रोशन करे।
पिछले साल हमने भी जादूजी के जन्म पर एक पोस्ट लिखी थी।
भई सब लोग ममताजी-यूनुस भाई को बधाई दो रे!
ममता जी , यही तो है मातृत्व ! बहुत सुन्दर आशिष दीये हैं आपने जो जादू बरसों बाद पढेंगें और समझेंगें
ReplyDeleteके उनके मम्मी और पापा कितना प्यार करते हैं
अरे जादू बेटे , आपकी साल गिरह है !!
वाह वाह --
चलिए हम भी आ गये हैं
अब केक काटा जाए और मम्मी ममता जी और
पापा युनूस भाई के संग
सब का मुंह मीठा करवाया जाए
...खूब मज़े करो, खेलो कूदो, मौज करो ..
ढेरों आशिष ..
आपको
" होली की भी ,
बहुत बहुत शुभ कामनाएं " :)
- लावण्या
Ham sab ki taraf se bhi nanhe jadu ko uski pehli varshganth ke liye dher sari shubhkaamnayein.
ReplyDeleteअरे! जादू साल भर का भी हो गया। सालगिरह पर हमारा बहुत बहुत आशीर्वाद! आयुष्मान हो!
ReplyDeleteजादू को जन्म दिन पर ढेरों आशीर्वाद । आपको भी बधाई।
ReplyDeleteजादू को बहुत बहुत आशीष...माँ की आवाज सुनाई दी पूरी पोस्ट में.
ReplyDeletemamta ji, radio par jitna aapki aawaz mein mamatva jhalakta hai, utna hi likhne mein bhi...jadu aur aapki kalam ke jadu..donon ke liye badhaai...ish madhu talwar
ReplyDeletejaadu ko pyar..
ReplyDeletebahut pyaraa he..
ऐ चंदा मामा आरे आवा पारे आवा नदिया किनारे आवा' । यही लोरी मेरी मम्मी भी मुझे सुनाती थी, यह लोरी तो पूर्वांचल मे सुनाई जाती हैं ......आप को कैसे आती हैं .....??
ReplyDeleteआपके अनुभव ज्यादातर रेडियो पर ही सुने थे .....आज ब्लोंग से भी जाना ...
वो दिन जब बारिश हो रही थी ...और एक बड़ा सा सांप आपके सामने आ गया था ...आपके पति जी भी साथ मे थे ... :) :)
यह पोस्ट बहुत भावनापूर्ण रही . एक माँ से उन दिनों की गाथा पहली बार पढ़ी
हमारी तरफ से भी साहबजादे को ढेरों स्नेह और अनगिनत शुभकामनाएं!!
ReplyDeleteमुझे याद ही नहीं रहा और तक़रीबन १५-२० दिनों से ब्लॉग से लगभग दूर भी रहा.. आज हो नजर पड़ी, बेहद खुशी हुई पढकर कि जादू जी एक साल के हो गए.. मेरा ढेर सारा प्यार, स्नेह और आशीष जादू जी को.. :)
ReplyDeleteजादू को ढ़ेर सारा प्यार और स्नेह, और माँ की ममता जो आपके शब्दों में मिली आँखों में आँसू आ गये, खुशी के मारे हमें भी अपना पितृत्व का वो दिन याद आ गया जब अचानक ही हममें बापता जाग उठी थी और वो क्षण और रोमांच और जिम्मेदारी आज तक भूल नहीं पाये हैं। माँ की ममता तो देखते ही बनती है।
ReplyDeleteआपके पूरे परिवार को सुखद क्षण के लिये हमारी बहुत सारी शुभकामनाएँ।
आपके पूरे परिवार को सुखद क्षण के लिये हमारी बहुत सारी शुभकामनाएँ।
ReplyDeleteभाव-विह्वलता में आंखों से झर-झर आंसूं बहने लगे । मैं मुग्ध होकर उसे चूमने लगी । मुंह से निकला--'ओह मेरा प्यारा बच्चा' । वो सारी बातें, वो सारी सलाहें भूल गयी, उस समय मेरा कोई धर्म नहीं था । मेरा धर्म था ममत्व, मातृत्व से सराबोर थी मैं । स्नेह से विह्वल थी मैं । अलौकिक-क्षण था ये ।
ReplyDeleteaaj pahli baar aapke blog per aana hua...maa banne ki adbhut feeling ka addbhut chiran...bilkul aisa hi kuch mere saath bhi hua jab ishu meri god me aayi...aapki ye post padh kar 4 saal pahle ki wo saari yaade fir se taja ho gyi...dhero shubhkamnayo sahit...