Saturday, December 12, 2009

लसोढ़े के अचार, बेर का चूरन और कुल्‍हड़ों वाली शाम


इलाहाबाद गई थी तो प्रतापगढ़ वाले जीजा बोले--'ममता अचार तो नहीं चाहिए । कहो तो ला दें ।' अचार मेरी कमज़ोरी रहा है । जब 'प्रेग्‍नेन्‍ट' थी तो किसी ने वादा किया था कि आपके लिए 'लसोडे़' का अचार भेजेंगे । ये अचार ना आना था ना आया । बहरहाल.....कल के अख़बार में पढ़ा नज़दीकी 'खादी-ग्रामोद्योग-संस्‍थान' के मैदान में एक राष्‍ट्रीय-हैंडलूम-प्रदर्शनी लगी है । सो हम जादू और उसके पापा को लेकर जा पहुंचे । ...

Sunday, November 29, 2009

डायरी के कुछ पन्‍ने--'मां के जाने के बाद' ।


मां के अवसान को मन जैसे पूरी तरह स्‍वीकार नहीं कर पाया है । कंप्‍यूटर पर उनकी तस्‍वीर देखूं तो अचानक ही 'इनसे' कहने लगती हूं कि मां ऐसा कहती हैं, वो वैसा कहती हैं । 'हैं' से उनके अचानक 'थीं' हो जाने को कैसे स्‍वीकार करूं । इन दिनों जो डायरी लिखी, उसके पिछले दो अंकों में...

Tuesday, November 24, 2009

डायरी के कुछ पन्‍ने-'मां का विदा हो जाना'


पिछले कुछ महीनों में मन जैसे भर-सा गया है । मां की बीमारी और फिर उनके अवसान के दिनों में मैंने जो डायरी लिखी उसके कुछ पन्‍ने यहां छाप रही हूं । पिछले पन्‍ने पर मैंने मां की बेबसी, बीमारी और उनके व्‍यक्तित्‍व के कुछ पहलुओं को उजागर किया था । अब आगे... --ममता इन दिनों...

Sunday, November 22, 2009

डायरी के कुछ पन्‍ने : 'मां की बीमारी'


पिछले कुछ महीनों में मन जैसे भर-सा गया है । मां की बीमारी और फिर उनके अवसान के दिनों में मैंने जो डायरी लिखी उसके कुछ पन्‍ने यहां छाप रही हूं--ममता मुझे लगता है कि उम्र के एक पड़ाव पर आकर हर कोई एकाकी हो जाता है । किसी बुज़ुर्ग को अगर क़रीब से देखें तो ये बात बड़ी...

Thursday, September 24, 2009

उत्‍सव का मौसम या शोर का मौसम


इन दिनों नवरात्र चल रहे हैं और कहीं पर दुर्गा-पूजा का उत्‍साह है तो कहीं पर गरबा की धूम । ऐसे में मुंबई का  नज़ारा ही कुछ और होता है । हालांकि आजकल मुंबई की तर्ज़ पर छोटे-शहरों में भी गरबा और डांडिया का आयोजन होने लगा है । लेकिन नवरात्र के दिनों में यूं लगता है मानो...

Tuesday, September 22, 2009

आज बोधिसत्‍व और आभा की 'भानी' का जन्‍मदिन है


आज 'भानी' का जन्‍मदिन है । आप सोच रहे होंगे कि ये 'भानी' कौन है । दरअसल भानी हमारे मित्रों बोधिसत्‍व और आभा की प्‍यारी सी बेटी और हमारी फ्रैन्‍ड है । जी हां भानी हमारी फ्रैन्‍ड हैं । इत्‍ती-सी फ्रैन्‍ड । ये जो तस्‍वीर है ये तब की है जब पिछली बार भानी हमारे घर आईं थीं 'बाबू'...

Sunday, February 1, 2009

वो जमुना का पानी, वो इलाहाबाद की यादें ।


बात उस समय की है, जब मैं अपने मायके इलाहाबाद पहली बार अपने पतिदेव को लेकर गई । यूं तो इलाहाबाद का चप्‍पा-चप्‍पा मेरा घूमा हुआ है, बल्कि यूं कहें कि इलाहाबाद का चप्‍पा-चप्‍पा मेरी रग-रग में....मेरी सांसों में बसा है । लेकिन इनके साथ इलाहाबाद घूमने का आनंद अनोखा था । पहले...

Thursday, January 22, 2009

पत्‍थरों के शहर में एक मासूम-सी ख़्वाहिश


रविवार की शाम घर पर रहें तो बहुत उबाऊ और उदास-सा लगता है । रविवार की शाम घर से बाहर जायें तो ट्रैफिक और भीड़भाड़ तंग करती है । सारा मुंबई शहर अपने 'वीक-एंड' को रंगीन बनाने के लिए हड़बड़ा-सा भागता दिखता है । सोमवार से शुक्रवार तक दफ्तर की भागदौड़ और 'वीक-एंड' पर.......(यहां...